Shelly Bhoil (Brazil/India) is an Indian poet and lives in Brazil. Her recently published works include poetry in Brazilian-Portuguese Preposição de entendimento (Editora Urutau, Brasil) and a pocket-book in Spanish Poemas em contrucción (Alto del Nudo, Colombia).
English
LETTER TO FELLOW WOMEN
Dear woman
are you spreading yourself
out on the floor as a playmat
for that little, long-silenced girl in you
to play and become
the fountain head of your joy
splashing and purging you off
the thick dust you didn’t need?
Dear woman
are you planting your feet
in the forest of your dreams
stretching arms for your fingers
to alchemize into fireflies
enough to illumine your garden
and make ash of the axe holders?
Dear woman
are you growing flowers on your tongue
and loudspeakers on your ears
to be velvety soft inside
and to bounce back all you are told
in the nooks of books and world
tailored to fit not your size?
Dear woman
are you measuring your fragility
by stone
and density by petals?
In short, dear fellow woman,
are you
already becoming
your own resourceful man?
UNPRETENTIOUS THINGS
what about surrendering yourself to unpretentious
things like the chair in the corner that invites you to
sit down and lean on its back when you are tired.
look at that gape-mouthed spoon and the pot-bellied glass
thirsting for your touch, even the palms of your hands tend
to cup into the well of blessing for you. and, wow, what’s more
promising than the sun behind the curtain in your window.
it’s peeping in and almost touching your toe. there is wood too
on the hearth to warm you. the generosity of broken things is
alomost always unconditional.they give to you beyond themselves. and
this is why i am given to believing that the world is not half bad
in moments of someone saying to someone ‘you can do it’,
‘i am happy for you’, ‘it will get better’
Translated by the poet
HIndi
साथी महिलाओं को पत्र
प्रिय महिला
क्या तुम अपने आप को जमीन पर
खेल की चटाई बन बिछा रही हो
अपने भीतर उस लंबे समय से खामोश लड़की
के खेलने और अपनी खुशी का फुव्वारा बन
उस सारी धूल को धो डालने के लिए जो आपके लिए
अनिवार्य नहीं थी ?
प्रिय महिला
क्या तुम अपने पैर
अपने सपनों के जंगल में बीज
बाहों को फैलाए, अपनी उंगलियों को
जुगनु बना रही हो
अपने बगीचे को रोशन और
लकड़हारों को राख करने के लिए ?
प्रिय महिला
क्या तुम अपनी जीभ पर फूल
और कानों पर लाउडस्पीकर लगा रही हो
अंदर से मखमली मुलायम रहकर भी
हर उस बात का तिरस्कार करने के लिए जो
किताबों और दुनिया के कोनो में तुम्हारे विपरीत
तुम्हारा मापदंड करने के लिए कहीं गई हैं?
प्रिय महिला
क्या तुम अपनी नाजुकता
पत्थरों से
और घनत्व पंखुड़ियों द्वारा
माप रही हो?
संक्षेप में, प्रिय साथी महिला,
क्या तुम बन रही हो
तुम्हारा अपना साधन संपन्न पुरुष?
सरल चीज़ें
क्या हो अगर हम खुद को सरल चीजों के समक्ष समर्पित कर दें
जैसे की कोने में पड़ी वह कुर्सी जो आपको उस पर बैठ
उसकी पीठ पर सहारा लेने के लिए आमंत्रित करती है।
अरे देखो तो, वह खुले मुँह वाला चम्मच और मोटे पेट वाला गिलास
आपके स्पर्श के प्यासे हैं । यहां तक की आपकी हथेलियां भी आपके
लिए आशीर्वाद का कुआं बनने के लिए बेताब हैं। और, वाह आपकी
खिड़की के पर्दे के पीछे सूरज से और बेहतर क्या होगा। वह अंदर
झाँक रहा है और आपके पैर के अंगूठे को लगभग छू रहा है। आपको
सर्दी में गर्म रखने के लिए चूल्हे पर लकड़ी भी है। टूटी हुई चीजों की
उदारता लगभग हमेशा बिना शर्त होती है। वे आपको अपने से बढ़कर
देती हैं। और इसलिए मुझे यकीं है कि दुनिया आधी बुरी नहीं है, खासकर
उन पलों में जब कोई किसी से कहता है –'तुम यह कर सकते हो', 'मैं तुम्हारे
लिए खुश हूं', 'सब ठीक हो जायेगा'।